Hindi Short Stories for Kids
Hindi Short Stories for Kids – कुम्हार का घमंड
किसी गांव में छाजू नाम का एक युवा कुम्हार रहता था। छाजू कुम्हार की पत्नी छमियाँ एक रूपवती एवं गुणवती स्त्री थी। छमियाँ खेतों से काली मिट्टी लेकर आती, उसे एक जान करती और अच्छे से गूंथती। छमियाँ मिट्टी को इस तरह एक जान करती, कि छाजू को मटके बनाने में ज़रा भी तक़लीफ ना होती और मटके भी ऐसे सुडौल और मजबूत बनते की देखने वाला तुरंत खरीद ले। छाजू के बनाए हुए मटको पर छमियां ख़ूबसूरत चित्र बना दिया करती थी, जिससे वो देखने में बहुत ही आकर्षक और सुंदर लगते थे। इस तरह छाजू और छमियां की गृहस्थी सुख चैन से चल रही थी।
इंसान सुख में डूबकर सब-कुछ भूल जाता है पर समय अपनी चाल चलता रहता है। समय के साथ जैसे जैसे छाजू के काम की शोहरत बढ़ती गई, उसे घमंड होने लगा। वो कहने लगा की मटके उसी के हाथों का जादू है। छाजू घमंड में इतना डूब गया की उसने छमियां के योगदान को नजरंदाज करना शुरू कर दिया। घर में सुख-शांति की जगह क्लेश ने ले ली। दिन रात घर में तनाव रहने लगा।
समय अपनी रफ़्तार से चलता गया और छमियां का दिल गृहस्थी के सुख से ऊब गया और वो क्लेश के चलते बीमार रहने लगी। छमियां के बीमार हो जाने से मटकों की गुणवत्ता में भी फ़र्क आने लग गया। अब ना ही तो मटके पहले ही तरह सुडौल और मजबूत बनते थे और न ही उन पर छमियां के हाथों की खूबसूरत चित्रकारी फब्ती थी। गाँव तो गाँव, दूर दराज के लोग भी मटकों की गुणवत्ता को लेकर बातें बनाने लग गए। छाजू कुम्हार का काम धीमा पड़ गया।
एक दिन छाजू कुम्हार गाँव के मास्टर जी से मिलने गया और अपना दुखड़ा मास्टर जी को सुना दिया। मास्टर जी को समझते देर नहीं लगी कि जो कुछ हुआ उसके लिए छाजू का घमंड ही जिम्मेदार है। मास्टर जी ने छाजू को पानी पिलाया और अच्छे से समझाया। मास्टर जी के समझाने से छाजू को बात समझ में आने लगी। उसकी आंखों से पश्चाताप के आंसू बहने लगे। घर आने के बाद छाजू ने छमियां से क्षमा याचना की। छमियां ने भी उसे माफ़ कर दिया और दोनों खुशी-खुशी रहने लग गए। समय के साथ छाजू का काम भी चलने लग गया।
नैतिक शिक्षा – कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए और अपनों के काम की सराहना एवं सम्मान करना चाहिए।
Hindi Short Stories for Kids – एकता की ताक़त
किसी जंगल में कबूतरों का एक दल रहता था। कबूतरों का नेता एक बुज़ुर्ग कबूतर था, जिसे सब प्यार से बड़े मियां कहकर बुलाते थे। बड़े मियां बहुत ही समझदार और तेज़ दिमाग़ वाला कबूतर था। वह हमेशा दल के सभी कबूतरों को प्यार और एकता के साथ रहने की सीख देते हुए कहता था कि “एकता में ही ताक़त होती है”. अगर कभी किसी कबूतर का पड़ोस वाली गौरिया या कौवे के साथ झगड़ा हो जाता तो सभी कबूतर एकजुट हो जाते, इससे आसपास के इलाके में कबूतरों का अच्छा दबदबा था।
एक दिन जंगल में एक शिकारी आया, शिकारी ने ज़मीन पर जाल बिछाया और उस पर चावल के दाने छीड़क कर चला गया। कबूतरों के दल ने चावल के दाने देखें और बिना ये सोचे समझे कि, इस घने जंगल में भला चावल के दाने कहां से आए, सभी कबूतर लगे चावलों की दावत उड़ाने। कबूतर अभी दाने चुग ही रहे थे कि एक नन्हा कबूतर चिल्लाया – “जाऽऽऽल…”
नन्हे कबूतर की आवाज़ सुनते ही दल में हड़कंप मच गया। सभी कबूतरों ने अपने-अपने पैरों की तरफ़ देखा तो वहां जाल बिछा हुआ था और कबूतर जाल में फंस चुके थे। कबूतरों ने जाल से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे। सभी कबूतर डर कर एक दूसरे को देखने लगे और अपनी-अपनी मौत यानी कि शिकारी का इंतज़ार करने लगे। दल में अभी हड़कंप मचा हुआ ही था कि नन्हा कबूतर फिर चिल्लाया – “बड़े मियांऽऽऽ…”
सभी कबूतरों ने बड़े मियां से मदद मांगी, उधर बड़े मियां भी इस समस्या का हल खोज रहे थे। बड़े मियां बोले कि “एकता में ताक़त होती है। हम इस जाल को काट तो नहीं सकते, लेकिन अगर हम एक साथ मिलकर ताक़त लगाएं तो इस जाल को उड़ा कर ले जा सकते हैं”
कबूतरों ने मिलकर ज़ोर लगाया और जाल को अपने साथ उड़ाकर एक चूहे के पास लेकर गए। जो बड़े मियां का बहुत अच्छा दोस्त था। चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को काट दिया और सभी कबूतर आज़ाद हो गए।
नैतिक शिक्षा – एकता में ताक़त होती हैं। अतः बुरे समय में हमें एक होकर रहना चाहिए।