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समास और समास-विग्रह की सम्पूर्ण जानकारी – Samas

Table of Contents

Samas in Hindi (What is Samas in Hindi)

Samas in Hindi

समास की परिभाषा (Samas Ki Paribhasha)

समास सूत्र – समसनं समास:, अर्थात संक्षिप्त कर देना ही समास है।

Samas Kise Kahate Hain – समास शब्द ‘सम्’ और ‘आस’ के संयोग से बना है, जहां ‘सम्’ का अर्थ समीप एवं ‘आस’ का अर्थ बैठाना होता है। अत: दो या दो से अधिक पदों के साथ प्रयुक्त विभक्ति चिह्नों या योजक पदों या अव्यय पदों का लोप कर नए पद की निर्माण प्रक्रिया को समास कहते हैं।  समास शब्द का विलोम शब्द ‘व्यास’ होता है।

समास के उदाहरण (Samas Ke Udaharan)

समस्त पद या सामासिक पद किसे कहते हैं

दो या दो से अधिक पदों के साथ प्रयुक्त विभक्ति चिह्नों या योजक पदों या अव्यय पदों का लोप करके बनाया गए नए पद को समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं। आसान भाषा में हम कह सकते हैं कि समास प्रक्रिया से बनने वाले पद को सामासिक पद कहते हैं।

सामासिक पद के उदाहरण

समास-विग्रह किसे कहते हैं

किसी सामासिक पद को उसके सभी विभक्ति चिह्नों या योजक पदों या अव्यय पदों या परस्पर संबंध रखने वाले पदों के साथ लिखने को समास-विग्रह कहते हैं। समास-विग्रह करते समय मूल पद का ही प्रयोग करना चाहिए, न की मूल पद के किसी पर्यायवाची पद का। रेलगाड़ी एक सामासिक पद है। इस सामासिक पद का समास-विग्रह रेल पर चलने वाली गाड़ी होगा।

समास-विग्रह के उदाहरण

यह भी पढ़ें:- क्रिया किसे कहते हैं – परिभाषा एवं भेद

समास के भेद (Samas Ke Bhed)

समास की प्रक्रिया में दो पदों का योग होता है। इन दोनों पदों के योग से बनने वाले सामासिक पद में किसी एक पद का अर्थ प्रमुख होता है। अर्थ की इसी प्रधानता के आधार पर समास के भेद किए गए हैं। अतः पदों की प्रधानता के आधार पर समास के चार भेद होते हैं।

  1. अव्ययीभाव समास (प्रथम पद के अर्थ की प्रधानता)
  2. द्वन्द्व समास (दोनों पदों के अर्थ की प्रधानता)
  3. बहुव्रीहि समास (दोनों पदों के अर्थ की अप्रधानता)
  4. तत्पुरुष समास (द्वितीय पद के अर्थ की प्रधानता)

अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)

अव्ययीभाव समास की परिभाषा (Avyayibhav Samas Ki Paribhasha) जिस समास में प्रथम पद या पूर्व पद प्रधान हो तथा समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) कहते हैं। यदि किसी सामासिक पद में प्रथम पद उपसर्ग या अव्यय पद हो तो उसे भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है। किसी सामासिक पद में संज्ञा या अव्यय पद की पुनरावृत्ति होने पर भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है।

अव्ययीभाव समास के प्रकार (Avyayibhav Samas Ke Prakar)

अव्ययीभाव समास के दो प्रकार होते हैं- अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास और नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास।

  1. अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास (Avyay Pad Purv Avyayibhav Samas)
  2. नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास (Naam Pad Purv Avyayibhav Samas)

अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav Samas Ke Udaharan)

Note:- अव्ययीभाव समास से सम्बंधित और अधिक विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

द्वंद्व समास (Dvandva Samas)

Dvandva Samas Kise Kahate Hain – जिस समास में दोनों पद प्रधान एवं एक दूसरे के विलोम या विलोम जैसे हों तो उसे द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं, अर्थात प्रथम एवं द्वितीय पद दोनों पदों के अर्थ महत्वपूर्ण होते हैं.

द्वन्द्व समास के प्रकार (Dvandva Samas ke Prakar)

द्वंद्व समास के तीन प्रकार होते हैं- इतरेतर द्वन्द्व समास, समाहार द्वन्द्व समास और विकल्प द्वन्द्व समास।

  1. इतरेतर द्वंद्व समास (Itretar Dvandva Samas)
  2. विकल्प द्वंद्व समास (Samahar Dvandva Samas)
  3. समाहार द्वंद्व समास (Vikalp Dvandva Samas)

द्वन्द्व समास के उदाहरण (Dvandva Samas ke udaharan)

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यह भी पढ़ें:- अयोगवाह किसे कहते हैं


बहुब्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)

Bahuvrihi Samas Kise Kahate Hain – जिस समास में दोनों ही पद अप्रधान हों तथा अन्य अर्थ की प्रधानता हो तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। यह उभय पद अप्रधान समास होता है। योगरूढ़ शब्द इसी समास में आते हैं। इस समास के पदों का समास-विग्रह करते समय जो/जिसका/जिसकी/जिसके शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas Ke Udaharan)

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तत्पुरुष समास किसे कहते हैं (Tatpurush Samas Kise Kahate Hain)

जिस समास में द्वितीय पद या उत्तर पद प्रधान हो तथा दोनों पदों के मध्य कारक विभक्ति का लोप हो तो उसे तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) कहते हैं। इस समास में प्रथम एवं द्वितीय पद के मध्य कारक चिन्हों का लोप होता है और जब सामासिक पद का समास-विग्रह किया जाता है, तो कर्ता कारक एवं सम्बोधन कारक को छोड़कर शेष कारकों के कारक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।

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तत्पुरुष समास के उदाहरण (Tatpurush Samas Ke Udaharan)

तत्पुरुष समास के प्रकार (Tatpurush Samas Ke Prakar)

हिंदी में तत्पुरुष समास के छः प्रकार होते हैं- कर्मधारय समास एवं द्विगु समास, लुप्तपद तत्पुरुष समास, उपपद तत्पुरुष समास, अलुक् तत्पुरुष समास और नञ् तत्पुरुष समास।

  1. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
  2. द्विगु समास (Dvigu Samas)
  3. लुप्तपद तत्पुरुष समास (LuptPad Tatpurush Samas)
  4. उपपद तत्पुरुष समास (Uppad Tatpurush Samas)
  5. अलुक् तत्पुरुष समास (Aluk Tatpurush Samas)
  6. नञ् तत्पुरुष समास (Nay Tatpurush Samas)

कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)

कर्मधारय समास की परिभाषा (Karmadharaya Samas Ki Paribhasha) – जिस समास में विशेषण व विशेष्य या उपमेय व उपमान का संयोग हो उसे कर्मधारय समास कहते हैं। कर्मधारय समास में द्वितीय पद प्रधान होता है, इसलिए इसे तत्पुरुष समास का ही एक उपभेद माना जाता है। कर्मधारय समास को समानाधिकरण समास के नाम से भी जाना जाता है। कर्मधारय समास में प्रयुक्त विशेषण असंख्यावाची विशेषण होता है।

कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmadharaya Samas Ke Udaharan)

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द्विगु समास (Dvigu Samas)

द्विगु समास की परिभाषा (Dvigu Samas Kise Kahte Hain) – वह समास जिसमें प्रथम या पूर्व पद संख्यावाचक विशेषण हो व द्वितीय पद संज्ञा हो तथा समस्त पद से समूह या समाहार का बोध होता हो उसे द्विगु समास कहते हैं। द्विगु समास का समास-विग्रह करते समय दोनों पदों को लिख कर अन्त में ‘का समूह या का समाहार’ लिखते हैं। द्विगु शब्द अपने आप में द्विगु समास का ही उदाहरण है।

द्विगु समास के उदाहरण (Dvigu Samas Ke Udaharan)

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Samas Quiz – समास क्विज़

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