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प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb) – Prernarthak Kriya

Table of Contents

Prernarthak Kriya

Prernarthak Kriya

प्रेरणार्थक क्रिया कौन सी होती है?

मूल धातु का वह विकृत रूप जिससे क्रिया के व्यापार में कर्ता (प्रेरित कर्ता) पर किसी (प्रेरक कर्ता) की प्रेरणा का बोध हो तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया की रचना सकर्मक एवं अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के पश्चात वह सदैव सकर्मक ही होगी। प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं जो निम्नलिखित हैं।

प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण

प्रेरणार्थक क्रिया के कितने प्रकार है?

प्रेरणार्थक क्रिया के दो प्रकार हैं- प्रत्यक्ष या प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया और अप्रत्यक्ष या द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया है.

  1. प्रत्यक्ष या प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
  2. अप्रत्यक्ष या द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?

क्रिया का वह रूप जिसमें कर्ता स्वयं भी कार्य में सम्मिलित होता हुआ कार्य करने की प्रेरणा देता है तो क्रिया के उस रूप को प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे: मोहन सबको भजन सुनाता है. इस वाक्य में मोहन द्वारा भजन गाए जाने पर सुनने का कार्य किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा किया गया है.

प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण

द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?

क्रिया का वह रूप जिसमें कर्ता स्वयं कार्य न करके दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता है उसे द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे: श्याम अध्यापक से बच्चों को पाठ पढ़वाता है. इस वाक्य में श्याम अध्यापक को प्रेरणा दे रहा है की वह बच्चों को पाठ पढ़ाए, इसलिए इस वाक्य में प्रेरणार्थक क्रिया का द्वितीय प्रेरणार्थक रूप होगा।

द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण

प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के नियम

  1. मूल धातु के अन्त में आना जोड़ने से प्रथम प्रेरणार्थक रूप एवं मूल धातु के अन्त में वाना जोड़ने से द्वितीय प्रेरणार्थक रूप बनता है।
मूल धातुप्रथम प्रेरणार्थक रूपद्वितीय प्रेरणार्थक रूप
उठउठानाउठवाना
गिरगिराना गिरवाना
कट काटना कटवाना
पढ़पढ़ाना पढ़वाना
सुनसुनाना सुनवाना
चलचलाना चलवाना
Prernarthak Kriya

  1. दो अक्षरों वाली मूल धातु में और को छोड़कर सभी स्वर मात्राओं के लघु रूप का दीर्घ रूप हो जाता है।
मूल धातु प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
ओढ़णा उढ़ाणा उढ़वाणा
जागना जगाना जगवाना
जीतना जिताना जितवाना
डूबना डुबाना डुबवाना
बोलना बुलाना बुलवाना
Prernarthak Kriya

  1. एक अक्षर वाली घातु के अन्त में ला और लवा जोड़कर दीर्घ स्वर मात्रा को लघु मात्रा कर दिया जाता है।
मूल धातु प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
खाना खिलानाखिलवाना
देनादिलानादिलवाना
पीनापिलानापिलवाना
सीनासिलानासिलवाना
सोनासुलानासुलवाना
Prernarthak Kriya

प्रेरणार्थक क्रिया के कितने रूप होते है उदाहरण के साथ लिखिए?

प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप होते हैं. पहले रूप को प्रथम प्रेरणार्थक एवं दूसरे रूप को द्वितीय प्रेरणार्थक रूप कहते हैं.

प्रेरणार्थक क्रिया कैसे पहचाने?

प्रेरणार्थक क्रिया को पहचानने के लिए वाक्य में प्रेरणा का भाव एवं प्रेरित कर्ता एवं प्रेरक कर्ता को देखना चाहिए। यदि वाक्य में किसी को प्रेरणा देने का भाव और प्रेरित कर्ता एवं प्रेरक कर्ता हों तो वहा प्रेरणार्थक क्रिया होगी।

लेटना शब्द का प्रथम प्रेरणार्थक रूप कौन सा है?

लेटना शब्द का प्रथम प्रेरणार्थक रूप लिटाना एवं द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिटवाना होता है.

पीना की प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?

पीना की प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया पिलाना एवं द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया पिलवाना होता है.

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