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Sakarmak Kriya – सकर्मक क्रिया की सम्पूर्ण जानकारी

sakarmak kriya

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Sakarmak Kriya

sakarmak kriya
Sakarmak Kriya

सकर्मक क्रिया की परिभाषा (sakarmak kriya )

वह क्रिया जिसके साथ कर्म की आवश्यकता होती है, अर्थात कर्म का प्रयोग किये बिना वाक्य का सम्पूर्ण अर्थ स्पष्ट नहीं होता उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं. सकर्मक क्रिया में कर्म की प्रधानता रहती है. सकर्मक क्रिया के दो प्रकार होते हैं- अपूर्ण सकर्मक क्रिया और पूर्ण सकर्मक क्रिया।

सकर्मक क्रिया के उदाहरण (Sakarmak Kriya Ke Udaharan)

  • राधा खाना खाती है.
  • मोहन चाय बनाता है.
  • विजय साईकिल चलाता है.
  • घनश्याम स्कूल जाता है.
  • पिंकी रोटी बनाती है.

सकर्मक क्रिया कितने प्रकार की होती है?

सकर्मक क्रिया दो प्रकार की होती है- पूर्ण सकर्मक क्रिया एवं अपूर्ण सकर्मक क्रिया।

  1. पूर्ण सकर्मक क्रिया
  2. अपूर्ण सकर्मक क्रिया

पूर्ण सकर्मक क्रिया (Purnsakarmak Kriya Ki Paribhasha)

सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसके साथ कर्मवाचक शब्द के अतिरिक्त अन्य किसी पूरक शब्द की आवश्यकता नहीं पड़ती उसे पूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं. पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो प्रकार होते हैं- एक कर्मक क्रिया और द्वि कर्मक क्रिया।

  1. एक कर्मक क्रिया
  2. द्वि कर्मक क्रिया

अपूर्ण सकर्मक क्रिया (Apurnsakarmak Kriya Ki Paribhasha)

जिस क्रिया के साथ कर्मवाचक शब्द के अतिरिक्त भी किसी न किसी संज्ञा या विशेषण शब्द की आवश्यकता पड़ती हो उसे अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं. चार क्रियाएँ सदैव अपूर्ण सकर्मक होती हैं- मानना, समझना, चुनना और बनाना(चुनाव के अर्थ में).

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर (Sakarmak Kriya or Akarmak Kriya Main Anter)

क्र.सकर्मक क्रिया अकर्मक क्रिया
01.सकर्मक क्रिया के साथ कर्म कारक होता है.अकर्मक क्रिया के साथ कर्म नहीं होता है.
02.रवि पानी पीता है.रवि पीता है.

सकर्मक क्रिया का अर्थ क्या है?

सकर्मक क्रिया का अर्थ कर्म के साथ होता है. क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है तो क्रिया के उस रूप को सकर्मक क्रिया कहते हैं. सकर्मक क्रिया में कर्म पाया जाता है.

सकर्मक क्रिया कैसे पहचाने?

सकर्मक क्रिया को पहचानने के लिए वाक्य में उपस्थित कर्म को देखना है. यदि वाक्य में कर्म उपस्थित हो तो वहाँ सकर्मक क्रिया होगी। इसके अलावा वाक्य में क्रिया से पहले क्या लगाकर पढ़ना चाहिए। यदि आपको वाक्य में उपस्थित कर्म के रूप में कोई सार्थक जवाब मिले तो वाक्य में सकर्मक क्रिया होगी। जैसे: महेश चाय बना रहा है। इस वाक्य में हम क्रिया ‘बना रहा है’ से पहले क्या लगाकर वाक्य को पढ़ते हैं – महेश क्या बना रहा है? इस सवाल का जवाब होगा कि – ‘चाय’ बना रहा है। अतः इस वाक्य में ‘बना रहा है’ सकर्मक क्रिया है।

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया क्या होती है?

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया कर्म के आधार पर क्रिया के भेद होते हैं. सकर्मक क्रिया में कर्म की प्रधानता रहती है और अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं पाया जाता।

सकर्मक क्रिया कब अकर्मक बन जाती है?

सकर्मक क्रिया अकर्मक तब बन जाती है जब उसमें कर्म प्रयुक्त नहीं हो. किसी सकर्मक क्रिया से यदि कर्म हटा दिया जाए तो वह अकर्मक क्रिया बन जाती है. जैसे: महेश पत्र लिख रहा है. इस वाक्य में सकर्मक क्रिया है. अब यदि इस वाक्य में प्रयुक्त कर्म पद पत्र हटा दिया जाए तो तो वाक्य कुछ इस प्रकार होगा- महेश लिख रहा है, जो की अकर्मक क्रिया है.

सकर्मक क्रिया के 5 उदाहरण

  • महेश पत्र लिख रहा है.
  • रमेश चाय पी रहा है.
  • श्याम खाना खाएगा.
  • राधा सफाई करेगी.
  • विकास शिकार करता है.

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