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संधि की परिभाषा प्रकार और उदाहरण – Sandhi in Hindi

Table of Contents

Sandhi Paribhasha Prakar or Udaharan

Sandhi Paribhasha Prakar or Udaharan

आज के इस लेख में हम आपको Sandhi in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं. यह लेख हिंदी व्याकरण के विद्वानों द्वारा लिखा गया है. अतः सन्धि के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें.

अक्सर आपने देखा होगा की सन्धि को कहीं पर संधि तो कहीं-कहीं पर सन्धि लिखा गया है. सन्धि के ये दोनों रूप ही सही हैं. संधि के ये रूप व्यंजन संधि के नियमानुसार बनते हैं. जिनके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे.

संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित – Sandhi Kise Kahate Hain Udaharan Sahit

Sandhi Ki Paribhasha – दो या अधिक वर्णों के पास-पास आने के परिणामस्वरूप जो विकार उत्पन्न होता है उसे सन्धि कहते हैं. संधि शब्द सम् + धि से बनता है, जिसका शाब्दिक अर्थ मेल या जोड़ होता है. संधि शब्द का विलोम शब्द विग्रह या विच्छेद होता है. यदि दो वर्णों के पास-पास आने से विकार उत्पन्न नहीं हो तो उसे सन्धि नहीं संयोग कहते हैं. संधि में दो या अधिक वर्णों का योग छ: प्रकार से हो सकता है.

संधि के उदहारण – Sandhi Ke Udaharan

Sandhi Ke Parkar

संधि के भेद – Sandhi Ke Bhed

मुख्य रूप से संधि के तीन प्रकार (Sandhi Ke Prakar) होते है- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि।

  1. स्वर सन्धि
  2. व्यंजन संधि
  3. विसर्ग संधि

स्वर संधि किसे कहते हैं – Swar Sandhi Kise Kahate Hain

स्वर के साथ स्वर के योग से होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं. हिंदी में अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ कुल ग्यारह स्वर होते हैं. स्वरों के पास-पास आने से होने वाला विकार पाँच तरह से हो सकता है. इसी आधार पर स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं.

स्वर संधि के भेद – Swar Sandhi Ke Bhed

मुख्य रूप से स्वर संधि के पाँच भेद होते है- दीर्घ संधि, गुण संधि, यण संधि, वृद्धि संधि और अयादि संधि।

  1. दीर्घ संधि
  2. गुण संधि
  3. यण संधि
  4. वृद्धि संधि
  5. अयादि संधि

दीर्घ संधि किसे कहते हैं – Dirgh Sandhi Kise Kahate Hain

यदि अ, आ या इ, ई या उ, ऊ में से कोई भी स्वर अपने सजातीय स्वर से जुड़े तो बनने वाला स्वर सदैव दीर्घ स्वर होगा. सजातीय स्वरों का यह योग निम्नलिखित तरीक़े से हो सकता है.

क्र.सजातीय वर्ण प्रथम + सजातीय वर्ण द्वितीयबनने वाला वर्ण
1 अ + अ
2 अ + आ
3 आ + आ
4 आ + अ
5 इ + इ ई 
6इ + ई ई 
7ई + इ
8ई + ई
9उ + उ
10उ + ऊ
11ऊ + उ
12ऊ + ऊ

जब अ के साथ अ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण आ होगा (अ + अ = आ)

दीर्घ संधि के उदाहरण – Dirgh Sandhi Ke Udaharan

अधिक + अंशअधिकांश
परम + अर्थपरमार्थ
दाव + अनलदावानल
रोम + अवलिरोमावली
अन्ध + अनुगामीअन्धानुगामी
स्व + अनुभूतस्वानुभूत
न्यून + अधिकन्यूनाधिक
काम + अयनीकामायनी
स + अवधानसावधान
पद + अर्थपदार्थ
दीर्घ संधि के उदाहरण
राम + अयन रामायण
धर्म + अर्थ धर्मार्थ
नील + अंचलनीलांचल
ऊह + अपोहऊहापोह
शश + अंकशशांक
मुर + अरिमुरारि
तिल + अंजलितिलांजलि
पूर्व + अह्नपूर्वाह्न
रत्न + अवलिरत्नावली
गत + अनुगतिक गतानुगतिक
दीर्घ संधि के उदाहरण

जब अ के साथ आ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण आ होगा (अ + आ = आ)

कुश + आसनकुशासन
विवाद + आस्पदविवादास्पद
शाक + आहारी शाकाहारी
सत्य + आग्रहसत्याग्रह
भ्रष्ट + आचारभ्रष्टाचार
मरण + आसन्न मरणासन्न
अन + आक्रान्त अनाक्रान्त
फल + आहारफलाहार
रत्न + आकर रत्नाकर
रस + आभासरसाभास
प्राण + आयाम प्राणायाम
दीप + आधार दीपाधार
छात्र + आवास छात्रावास
विजय + आंकाक्षी विजयाकांक्षी
धर्म + आत्मा धर्मात्मा
विशाल + आकाय विशालाकाय
हिम + आलय हिमालय
स्नेह + आकांक्षी स्नेहाकांक्षी
सौभाग्य + आकांक्षिणी सौभाग्याकांक्षिणी
परम + आत्मापरमात्मा

जब आ के साथ आ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण आ होगा (आ + आ = आ)

कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी
भाषा + आबद्ध = भाषाबद्ध
महा + आशय = महाशय
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय
आत्मा + आनंद = आत्मानंद
दया + आनंद = दयानंद
महा + आनंद = महानंद
गदा + आघात = गदाघात
आ + आ = आ

यह भी पढ़ें:- उपसर्ग एवं उसके भेद


जब आ के साथ अ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण आ होगा (आ + अ = आ)

तथा + अपि तथापि
द्वारिका + अधीश द्वारिकाधीश
युवा + अवस्था युवावस्था
दीक्षा + अन्त दीक्षान्त
आ + अ = आ

जब इ के साथ इ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ई होगा (इ + इ = ई)

अति + इन्द्रियअतीन्द्रिय
अति + इवअतीव
गिरि + इन्द्रगिरीन्द्र
कवि + इन्द्रकवीन्द्र
रवि + इन्द्ररवीन्द्र
मुनी + इन्द्रमुनीन्द्र 
अभि + इष्टअभीष्ट

जब इ के साथ ई की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ई होगा (इ + ई = ई)

अभि + ईप्साअभीप्सा
परि + ईक्षापरीक्षा
प्रति + ईक्षाप्रतीक्षा 
गिरि + ईशगिरीश
कपि + ईशकपीश 
क्षिति + ईशक्षितिश

जब ई के साथ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ई होगा ( +  = ई)

मही + इन्द्रमहीन्द्र
महती + इच्छामहतीच्छा 

जब ई के साथ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ई होगा ( + = ई)

रजनी + ईशरजनीश
नारी + ईश्वरनारीश्वर
मही + ईशमहीश

जब उ के साथ उ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ऊ होगा (उ + उ = ऊ)

  • कटु + उक्ति = कटूक्ति
  • लघु + उत्तम = लघूत्तम
  • गुरु + उपदेश = गुरूपदेश 
  • भानु + उदय = भानूदय

जब उ के साथ ऊ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ऊ होगा (उ + ऊ = ऊ)

जब ऊ के साथ उ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ऊ होगा (ऊ + उ = ऊ)

जब ऊ के साथ ऊ की संधि होती है तो परिणामस्वरूप बनने वाला वर्ण ऊ होगा (ऊ + ऊ = ऊ)

गुण संधि किसे कहते हैं – Gun Sandhi Kise Kahate Hain

गुण संधि के अंतर्गत दो अलग-अलग उच्चारण स्थानों से उच्चारित होने वाले स्वरों के मध्य संधि होती है, जिसके फलस्वरूप बनने वाला स्वर संधि करने वाले स्वरों से भिन्न होता है. गुण संधि के तीन नियम होते है.

01. यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण या हो तथा द्वितीय पद का प्रथम वर्ण या हो तो संधि के फलस्वरूप बनने वाला वर्ण होगा, अर्थात: अ / आ + इ / ई = ए.

गुण संधि के उदाहरण – Gun Sandhi Ke Udaharan

02. यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण या हो तथा द्वितीय पद का प्रथम वर्ण या हो तो संधि के फलस्वरूप बनने वाला वर्ण ओ होगा, अर्थात: / + / = .

गुण संधि के उदाहरण – Gun Sandhi Ke Udaharan

03. यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण या हो तथा द्वितीय पद का प्रथम वर्ण हो तो संधि के फलस्वरूप बनने वाला वर्ण अर् होगा, अर्थात: / + = अर् .

गुण संधि के उदाहरण – Gun Sandhi Ke Udaharan

यण् संधि किसे कहते हैं – Yan Sandhi Kise Kahate Hain

जब इ, ई या उ,ऊ या ऋ भिन्न-भिन्न स्वरों के साथ संधि करके क्रमशः य, व्, र् बनाएं तो उसे यण् संधि कहते हैं. यण् संधि के तीन नियम होते हैं जो निम्नलिखित हैं.

01. यदि या की संधि अपने सजातीय स्वर (इ या ई) के अतिरिक्त किसी भी अन्य असमान स्वर से हो तो संधि के फलस्वरूप बनने वाला वर्ण होगा और संधि में प्रयुक्त अन्य असमान स्वर की मात्रा य के साथ जुड़ जाएगी.

यण् संधि के उदाहरण – Yan Sandhi Ke Udaharan

02. यदि या की संधि अपने सजातीय स्वर (उ या ऊ) के अतिरिक्त किसी भी अन्य असमान स्वर से हो तो संधि के फलस्वरूप बनने वाला वर्ण व् होगा और संधि में प्रयुक्त अन्य असमान स्वर की मात्रा व् के साथ जुड़ जाएगी.

यण् संधि के उदाहरण – Yan Sandhi Ke Udaharan

03. यदि की संधि किसी अन्य असमान स्वर से हो तो संधि के फलस्वरूप बनने वाला वर्ण र् होगा और संधि में प्रयुक्त अन्य असमान स्वर की मात्रा र् के साथ जुड़ जाएगी. बड़ी ऋ से होने वाली संधि संस्कृत में होती है न की हिंदी में.

यण् संधि के उदाहरण – Yan Sandhi Ke Udaharan


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वृद्धि संधि किसे कहते हैं – Vridhi Sandhi

यदि या के साथ या की संधि होने पर बनने वाला वर्ण हो और या के साथ या की संधि होने पर बनने वाला वर्ण हो तो उसे वृद्धि संधि कहते हैं. वृद्धि संधि के दो नियम होते हैं जो निम्नलिखित हैं.

वृद्धि संधि के उदाहरण – Vridhi Sandhi Ke Udaharan

अयादि संधि किसे कहते हैं – Ayadi Sandhi

यदि ए, ऐ, ओ, औ के साथ किसी भी वर्ण (सवर्ण या असवर्ण) की संधि के फलस्वरूप होने वाला विकार क्रमशः अय, आय, अव, आव हो तो उसे अयादि संधि कहते हैं.

अयादि संधि के उदाहरण – Ayadi Sandhi Ke Udaharan

व्यंजन संधि किसे कहते हैं – Vyanjan Sandhi

Vyanjan sandhi kise kahte hai

किसी व्यंजन वर्ण के साथ व्यंजन वर्ण या स्वर वर्ण का मेल होने के परिणामस्वरूप होने वाले विकार को व्यंजन संधि कहते हैं.

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

व्यंजन संधि के अंतर्गत निम्नलिखित स्थितियों में से कोई एक स्थिति प्राप्त होती है.

व्यंजन संधि को विस्तार से समझने के लिए कुछ परिभाषाओं को समझना आवश्यक है. अतः सबसे पहले हम इन परिभाषाओं के बारे में आपको बता रहे हैं.

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व्यंजन संधि के नियम – Vyanjan Sandhi Ke Niyam

01. यदि किसी वर्ग के प्रथम वर्ण के साथ किसी सघोष वर्ण ( प्रत्येक वर्ग के पाँचवे वर्ण को छोड़कर ) का मेल हो तो यह प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के तीसरे वर्ण में आदेश हो जाता है. इस नियम को तीसरे वर्ण की संधि का नियम कहते हैं.

अर्थात

क, च, ट, त, प + ( किसी वर्ग का तीसरा एवं चौथा वर्ण + य, र, ल, व, ह + सभी स्वर ) = वर्ग के तीसरे वर्ण में बदलाव.

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

02. यदि किसी वर्ग के प्रथम वर्ण के साथ किसी वर्ग के पाँचवे वर्ण (नासिक्य वर्ण) का मेल हो तो प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के पाँचवे वर्ण में आदेश हो जाता है. इस नियम को पाँचवे वर्ण की संधि का नियम या अनुनासिक संधि कहते हैं.

अर्थात

क, च, ट, त, प + वर्ग का पाँचवा वर्ण = वर्ग के पाँचवे वर्ण में बदलाव.

व्यंजन संधि के उदाहरण

03. यदि किसी वर्ग के प्रथम वर्ण के साथ ह वर्ण का मेल हो तो वर्ग का प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के तीसरे वर्ण में आदेश हो जाता है तथा ह वर्ण के स्थान पर प्रयुक्त प्रथम वर्ण के वर्ग का चौथा वर्ण आदेश हो जाता है.

Note: के स्थान पर वर्ग के चौथे वर्ण का उपयोग करने के बजाय का प्रयोग भी किया जा सकता है. उपरोक्त दोनों स्थितियां सही होंगी.

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

04. यदि वर्ग के चतुर्थ वर्ण के साथ उसी वर्ग के तृतीय या चतुर्थ वर्ण का मेल हो तो वर्ग का चतुर्थ वर्ण अपने ही वर्ग के तृतीय वर्ण में बदल जाता है.

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

05. यदि द वर्ण से पहले मूर्धन्य स्वर (ऋ) हो तो द वर्ण के स्थान पर ण् आदेश हो जाता है.

अर्थात

ऋ + द = ऋ + ण्

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

06. यदि स्वर रहित म् वर्ण का मेल क-वर्ग, च-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग या प-वर्ग में से किसी भी वर्ण से हो तो स्वर रहित म् के स्थान पर उस वर्ग का अंतिम वर्ण आदेश होगा. आदेश हुए उस पाँचवें वर्ण को अनुस्वार के रूप में भी लिखा जा सकता है. संस्कृत में इसे अनुस्वार संधि या परसवर्ण संधि के नाम से जाना जाता है.

अर्थात

म् + क-वर्ग, च-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग या प-वर्ग = अनुस्वार या प्रयुक्त वर्ण के वर्ग का पंचम वर्ण

Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

यह भी पढ़ें:- क्रिया किसे कहते हैं – परिभाषा एवं भेद

07. यदि हलन्त म् के साथ अंतस्थ व्यंजन या उष्मीय व्यंजन का मेल हो तो हलन्त म् के स्थान पर अनुस्वार आदेश होगा.

अर्थात

म् + य, र, ल, व, स, श, ष, ह = म् के स्थान पर अनुस्वार आ जाएगा

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

08. यदि सम् उपसर्ग के बाद कृ धातु से बना शब्द (कृत, कृति, कर्ता, कार, करण इत्यादि) आए तो हलन्त म् अनुस्वार में आदेश हो जाएगा तथा कृ धातु शब्द से पहले दन्त्य स् का आगम होगा.

अर्थात

सम् उपसर्ग + कृ धातु से बना शब्द = अनुस्वार + स् + कृ धातु से बना शब्द

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

09. यदि परि उपसर्ग के बाद कृ धातु से बना कोई शब्द (कृत, कृति, कर्ता, कार, करण इत्यादि) आए तो परि उपसर्ग और कृ धातु से बने शब्द के मध्य से मुर्धन्य ष् का आगम होगा.

अर्थात

परि उपसर्ग + कृ धातु से बना शब्द = परि + ष् + कृ धातु से बना शब्द

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi Ke Udaharan

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उपसर्ग से संबंधित विशेष नियम

यदि किसी उपसर्ग का अंतिम वर्ण स्वर रहित हो तथा यह वर्ण किसी स्वर से मेल करे तो वहां संधि नहीं होगी बल्कि संयोग होगा.

उदाहरण

10. यदि त् या द् वर्ण के साथ या वर्ण का मेल हो तो त् या द् वर्ण के स्थान पर च् वर्ण आदेश होगा.

अर्थात

त् / द् + च / छ = च्

उदाहरण

  • सत् + चरित्र = सच्चरित्र
  • सत् + चित = सच्चित
  • उद् + चारण = उच्चारण
  • सत् + चेष्टा = सच्चेष्टा
  • सत् + चित् + आनन्द = सच्चिदानन्द

11. यदि त् या द् वर्ण के साथ या वर्ण का मेल हो तो त् या द् वर्ण के स्थान पर ज् वर्ण आदेश होगा.

अर्थात

त् / द् + ज / झ = ज्

उदाहरण

  • सत् + जन = सज्जन
  • उत् + ज्वल = उज्जवल
  • महत् + ज्ञान = महज्ज्ञान
  • महत् + झंकार = महज्झंकार
  • यावत् + जीवन = यावज्जीवन

12. यदि त् या द् वर्ण के साथ ट या ठ वर्ण का मेल हो तो त् या द् वर्ण के स्थान पर ट् वर्ण आदेश होगा.

अर्थात

त् / द् + ट / ठ = ट्

उदाहरण

  • तद् + टीका = तट्टीका
  • बृहत् + टीका = बृहट्टीका

13. यदि त् या द् वर्ण के साथ ड या ढ वर्ण का मेल हो तो त् या द् वर्ण के स्थान पर ड् वर्ण आदेश होगा.

अर्थात

त् / द् + ड / ढ = ड्

उदाहरण

  • उत् + डयन = उड्डयन
  • भवत् + डमरू = भवड्डमरू

14. यदि त् या द् वर्ण के साथ ल वर्ण का मेल हो तो त् या द् वर्ण के स्थान पर ल् वर्ण आदेश होगा.

अर्थात

त् / द् + ल = ल्

उदाहरण

  • उद् + लेख = उल्लेख
  • उद् + लास = उल्लास
  • तद् + लीन = तल्लीन
  • तद् + लय = तल्लय
  • उत् + लंघन = उल्लंघन

15. यदि त् या द् वर्ण के साथ श वर्ण का मेल हो तो त् या द् वर्ण के स्थान पर च् वर्ण तथा श वर्ण के स्थान पर वर्ण का आदेश होगा.

अर्थात

त् / द् + श = च् +

उदाहरण

  • उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
  • उत् + श्रृंखल = उच्छृंखल
  • सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
  • तद् + शिव = तशिव
  • सत् + शासन = सच्शासन

यह भी पढ़ें: समास : समास-विग्रह, भेद एवं उदाहरण

16. यदि किसी भी स्वर के साथ छ वर्ण का मेल हो तो स्वर एवं छ वर्ण के मध्य च् वर्ण का आगम हो जाता है.

अर्थात

कोई भी स्वर + छ = कोई भी स्वर + च् + छ

उदाहरण

17. यदि या के अतिरिक्त किसी भी स्वर के साथ वर्ण का मेल हो तो वर्ण वर्ण में बदल जाता है.

उदाहरण

18. यदि ष् वर्ण के साथ त्, थ्, न् (दन्त्य) वर्ण का मेल हो तो दन्त्य वर्ण क्रमशः ट्, ठ्, ण् में बदल जाते हैं.

उदाहरण

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19. यदि उद् उपसर्ग के साथ दन्त्य स् का मेल हो तो उद् के स्थान पर उत् का आदेश हो जाता है तथा दन्त्य स् का लोप हो जाता है.

अर्थात

उद् उपसर्ग + दन्त्य स् = उत् उपसर्ग

उदाहरण

20. यदि किसी शब्द में वर्ण हो और वर्ण से पहले ऋ, य, र, ष हो तो वर्ण के स्थान पर आदेश हो जाता है, इसे वर्ण का मूर्धन्यीकरण कहते हैं.

उदाहरण

21. यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण न् हो तथा उसके बाद कोई भी शब्द हो तो न् वर्ण का लोप हो जाएगा.

अर्थात

प्रथम का अंतिम वर्ण न् + कोई भी शब्द = न् वर्ण का लोप होगा.

उदाहरण

22. यदि निर् उपसर्ग के साथ वर्ण का मेल हो तो निर् उपसर्ग का नि दीर्घादेश होकर नी तथा निर् उपसर्ग के र् वर्ण का लोप हो जाता है.

अर्थात

निर् उपसर्ग + र = नी + र

उदाहरण

23. यदि दुर् उपसर्ग के साथ वर्ण का मेल हो तो दुर् उपसर्ग का दु दीर्घादेश होकर दू तथा दुर् उपसर्ग के र् वर्ण का लोप हो जाता है.

अर्थात

दुर् उपसर्ग + र = दू + र

उदाहरण

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विसर्ग संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित – Visarg Sandhi Kise Kahate Hain

विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन वर्णों का मेल होने पर होने वाले विकार को विसर्ग संधि कहते हैं. विसर्ग संधि में विसर्ग का मेल वर्णों से होता है. विसर्ग संधि में विसर्ग से पहले हमेशा स्वर ही होता है न की स्वर रहित व्यंजन.

विसर्ग संधि के नियम – Visarg Sandhi Ke Niyam

01. यदि विसर्ग के साथ च, छ या (तालव्य अघोष वर्ण) में से किसी का मेल हो तो विसर्ग के स्थान पर तालव्य आदेश होगा.

अर्थात

स्वर + : + च/छ/श = स्वर + श् + च/छ/श

विसर्ग संधि के उदाहरण – Visarg Sandhi Ke Udaharan

02. यदि विसर्ग के साथ ट, ठ या (मूर्धन्य अघोष वर्ण) में से किसी का मेल हो तो विसर्ग के स्थान पर मूर्धन्य आदेश होगा.

अर्थात

स्वर + : + ट/ठ/ष = स्वर + ष् + ट/ठ/ष

विसर्ग संधि के उदाहरण – Visarg Sandhi Ke Udaharan

03. यदि विसर्ग के साथ त, थ या (दन्त्य अघोष वर्ण) में से किसी का मेल हो तो विसर्ग के स्थान पर दन्त्य आदेश होगा.

अर्थात

स्वर + : + त/थ/स = स्वर + स् + त/थ/स

विसर्ग संधि के उदाहरण – Visarg Sandhi Ke Udaharan

04. यदि विसर्ग से पहले या के अतिरिक्त कोई स्वर हो तथा विसर्ग का मेल क, ख, प, फ में से किसी वर्ण से हो रहा हो तो विसर्ग के स्थान पर मूर्धन्य ष् आदेश होगा.

अर्थात

अ या आ के अतिरिक्त कोई स्वर + : + क/ख/प/फ = स्वर + ष् + क/ख/प/फ

विसर्ग संधि के उदाहरण – Visarg Sandhi Ke Udaharanउदाहरण

05. यदि विसर्ग से पहले या वर्ण हो तथा विसर्ग का मेल क, ख, प, फ में से किसी भी एक वर्ण से हो तो प्रकृतिभाव की संधि होती है, अर्थात दोनों पदों को ज्यों का त्यों जोड़ दिया जाता है.

अर्थात

अ/आ + : + क/ख/प/फ =  अ/आ + : + क/ख/प/फ

विसर्ग संधि के उदाहरण – Visarg Sandhi Ke Udaharan

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