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संज्ञा उपवाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण

Sangya Upvakya

Sangya Upvakya | संज्ञा उपवाक्य

किसी भी वाक्य में संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) की पहचान करना परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) प्रधान उपवाक्य के कर्ता, कर्म अथवा क्रिया पूरक के रूप में आ सकता है।

इस लेख में हम संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं. अतः संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) के बारे में जानने के लिए पूरे लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें।

Sangya Upvakya

संज्ञा उपवाक्य की परिभाषा (Sangya Upvakya Ki Paribhasha)

प्रधान या मुख्य उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा वाक्यांश के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले उपवाक्य को संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) कहते हैं। संज्ञा उपवाक्य की पहचान यह है की संज्ञा उपवाक्य का आरम्भ ‘कि’ से होता है। मुख्य उपवाक्य के उद्देश्य / कर्म / पूर्ति या किसी समानाधिकरण शब्द के स्थान पर संज्ञा उपवाक्य का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

  • इस मेले का मुख्य उद्देश्य है कि कारोबार की वृद्धि हो।

उपरोक्त मिश्र वाक्य में ‘कारोबार की वृद्धि हो’ आश्रित उपवाक्य है, जो मुख्य उपवाक्य की संज्ञा ‘कारोबार की वृद्धि’ के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है।

यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त योजक शब्द ‘कि’ से पहले के प्रधान उपवाक्य में ‘इतना / इतनी / इतने / इसलिए’ शब्दों का प्रयोग हुआ हो तो योजक शब्द ‘कि’ से आरंभ होने वाले उपवाक्य को संज्ञा उपवाक्य न मानकर क्रिया विशेषण उपवाक्य मानना चाहिए।

जैसे:-

  • वह इतना होशियार है कि तुरंत हर प्रश्न का उत्तर दे देता है।

उपरोक्त वाक्य में योजक शब्द ‘कि’ के बाद का वाक्य क्रिया विशेषण उपवाक्य होगा, न की संज्ञा उपवाक्य।

आमतौर पर संज्ञा उपवाक्य समुच्चयबोधक ‘कि’ से प्रारंभ होते हैं, लेकिन कभी-कभी ‘कि’ के स्थान पर ‘जो’ का प्रयोग भी किया जाता है।

यदि किसी वाक्य में आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य से पहले आए तो ‘कि’ का लोप हो जाता है और मुख्य उपवाक्य में ‘यह’ निश्चयवाचक सर्वनाम का प्रयोग होता है।

प्रधान उपवाक्य के कर्म के स्थान पर आने वाले आश्रित उपवाक्य के पूर्व ‘कि’ का लोप हो जाता है। यदि संज्ञा उपवाक्य प्रश्नवाचक हो तो मुख्य उपवाक्य में ‘यह’, ‘ऐसा’ अथवा ‘क्या’ सर्वनाम का प्रयोग होता है।

संज्ञा उपवाक्य के उदाहरण (Sangya Upvakya Ke Udaharan)

  • रमेश ने कहा मुझे पैसों की जरूरत नहीं।
  • ईश्वर एक है यह धर्म की बात है।
  • वह जानता भी नहीं कि धर्म किसे कहते हैं।
  • हमने सुना है कि ‘आपके यहाँ अच्छा खाना मिलता है।
  • मेरा विचार है कि अंग्रेज़ी की एक मासिक पत्रिका निकालूँ।
  • मैं आपको भूल जाऊँ यह कैसे हो सकता है?
  • अध्यापक ने कहा कि पृथ्वी गोल है।
  • बच्चों ने अध्यापक से कहा कि उन्हें घूमने जाना है।
  • रमेश ने कहा कि मुझे पैसों की जरूरत नहीं।

उपरोक्त वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य है और दूसरा संज्ञा उपवाक्य है। संज्ञा उपवाक्य ‘कि’ से आरंभ होते हैं। इस वाक्य में भी ‘कि’ से प्रारंभ होने वाला वाक्य ‘कि मुझे पैसों की ज़रूरत नहीं’ संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) होगा।

  • राधा ने कहा कि उसकी माँ बीमार है।

उपरोक्त वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य है और दूसरा संज्ञा उपवाक्य है। संज्ञा उपवाक्य ‘कि’ से आरंभ होते हैं। इस वाक्य में भी ‘कि’ से प्रारंभ होने वाला वाक्य ‘कि उसकी माँ बीमार है’ संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) होगा।

  • ‘ईश्वर एक है’ यह धर्म की बात है।

उपरोक्त वाक्य में आप देख सकते हैं कि समुच्चय बोधक ‘कि’ का लोप हो गया है, क्योंकि इस वाक्य में आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य से पहले आया है। उपरोक्त वाक्य में निश्चय वाचक सर्वनाम ‘यह’ का प्रयोग आश्रित उपवाक्य के समानाधिकरण के रूप में हुआ है।

अतः उपरोक्त वाक्य में ‘ईश्वर एक है’ संज्ञा उपवाक्य है।

  • इससे जान पड़ता है कि बुरी संगत का परिणाम बुरा होता है।

उपरोक्त वाक्य में संज्ञा उपवाक्य ‘बुरी संगत का परिणाम बुरा होता है’ होगा, जो प्रधान उपवाक्य के उद्देश्य के स्थान पर प्रयुक्त किया गया है। अतः संज्ञा उपवाक्य (Sangya Upvakya) मुख्य उपवाक्य के उद्देश्य के स्थान पर भी प्रयुक्त होता है।

  • वह जानता भी नहीं कि प्रेम किसे कहते हैं।

उपरोक्त वाक्य में संज्ञा उपवाक्य ‘प्रेम किसे कहते हैं’ होगा, जो प्रधान उपवाक्य के कर्म के स्थान पर प्रयुक्त किया गया है। अतः संज्ञा उपवाक्य मुख्य उपवाक्य के कर्म के स्थान पर भी प्रयुक्त होता है।

FAQs

संज्ञा उपवाक्य की पहचान क्या है?

संज्ञा उपवाक्य की पहचान यह है की संज्ञा उपवाक्य का आरम्भ ‘कि’ से होता है।

संज्ञा उपवाक्य किसका भेद है

संज्ञा उपवाक्य आश्रित उपवाक्य का भेद है।

संज्ञा उपवाक्य की परिभाषा

प्रधान या मुख्य उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा वाक्यांश के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले उपवाक्य को संज्ञा उपवाक्य कहते हैं।

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