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Viram Chinh in Hindi
इस लेख में हम हिंदी भाषा के समस्त विराम चिह्नों (Hindi Punctuation Marks) के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं। चिन्हों के नाम के साथ-साथ उनका विस्तृत विवरण भी आपको इस लेख में मिलेगा।
अतः सम्पूर्ण लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें और कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके इस लेख के बारे में अपनी राय और सुझाव हमारे साथ साझा अवश्य करें।
हिंदी चिन्हों के नाम (Hindi Chinhon Ke Naam)
- पूर्ण विराम चिन्ह – Full Stop (।)
- अल्प विराम चिन्ह – Comma (,)
- अर्द्ध विराम चिन्ह – Semicolon (;)
- प्रश्नवाचक चिन्ह – Sign of Interrogation (?)
- विस्मयादिबोधक चिन्ह – Sign of Exclamation (!)
- उद्धरण चिन्ह – Inverted Comma (” “)
- योजक चिन्ह – Hyphen (-)
- विवरण चिन्ह – Sign of Vivran Chinh (:—)
- हंस पद – Sign of Hans Pad (^)
- लाघव चिन्ह – Sign of Laaghav Chinh (°)
- तुल्यतासूचक चिन्ह – Sign of Tulytasuchak Suchak Chinh (=)
- लोप सूचक चिन्ह – Sign of Lop Suchak Chinh (…)

Viram Chinh
विराम चिह्न की परिभाषा (Viram Chinh Ki Paribhasha)
भाषा के लिखित रूप में विराम या ठहराव को सूचित करने वाले संकेत चिह्नों को विराम चिह्न कहते हैं। विराम चिह्न का अर्थ ठहराव होता है। हम बातचीत के दौरान अपनी बात कहने के लिए, समझाने के लिए, किसी बात पर विशेष बल देने के लिए या अपनी बात का सम्पूर्ण भाव स्पष्ट करने के लिए कहीं कम या अधिक समय के लिए विराम लेते हैं। भाषा के लिखित रूप में इस विराम को दर्शाने के लिए विभिन्न संकेत चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें विराम चिन्ह कहते हैं।
विराम चिह्न (Viram Chinh in Hindi) शुद्ध व्याकरण का विषय नहीं है, बल्कि भाषा रचना या व्यवहारिक भाषा का विषय है। व्याकरण के नियमों से हटकर विराम चिह्नों का प्रयोग वाक्य के अर्थ पर आधारित होता है, अतः विराम चिह्नों का सही प्रयोग समझने के लिए वाक्य के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
हिंदी भाषा के पूर्ण विराम चिन्ह को छोड़कर शेष सभी विराम चिन्हों के रूप अंग्रेज़ी भाषा के ही हैं।
विराम चिन्ह का प्रयोग क्यों किया जाता है? (Viram Chinh in Hindi Uses)
- भाषा में ठहराव या विराम को दर्शाने के लिए विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
- विराम चिन्ह के प्रयोग से भाषा और भाषा के भाव में स्पष्टता आती है और वक्ता या लेखक के भाव को समझने में आसानी होती है। विराम चिन्ह के ग़लत प्रयोग से अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
Viram Chinh के प्रकार (Viram Chinh Ke Prakar)
हिंदी में 12 प्रकार के विराम चिन्ह हैं।
- पूर्ण विराम चिन्ह – Sign of Full Stop (।)
- अल्प विराम चिन्ह – Sign of Comma (,)
- अर्द्ध विराम चिन्ह – Sign of Semicolon (;)
- प्रश्नवाचक चिन्ह – Sign of Interrogation (?)
- विस्मयादिबोधक चिन्ह – Sign of Exclamation (!)
- उद्धरण चिन्ह – Sign of Inverted Comma (” “)
- योजक चिन्ह – Sign of Hyphen (-)
- विवरण चिन्ह – Sign of Vivran Chinh (:—)
- हंस पद – Sign of Hans Pad (^)
- लाघव चिन्ह – Sign of Laaghav Chinh (°)
- तुल्यतासूचक चिन्ह – Sign of Tulytasuchak Suchak Chinh (=)
- लोप सूचक चिन्ह – Sign of Lop Suchak Chinh (…)
01. पूर्ण विराम चिन्ह – Purn Viram Chinh (।)

पूर्ण विराम का चिन्ह । होता है। हिंदी भाषा में पूर्ण विराम चिन्ह के दो रूप प्रचलित हैं, जिसमें पहले रूप को एक खड़ी पाई (।) और दूसरे रूप को दो खड़ी पाई (।।) कहते हैं। यह चिह्न एक मात्र ऐसा चिह्न है जो हिंदी भाषा का अपना चिह्न है, इस चिह्न के अतिरिक्त हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाले समस्त विराम चिह्न अंग्रेज़ी भाषा से आए हैं।
पूर्ण विराम चिन्ह की परिभाषा (Purn Viram Chinh Ki Paribhasha)
पूर्ण विराम चिन्ह का अर्थ पूरी तरह ठहरना होता है। वाक्य में जहाँ एक बात, एक विचार या वाक्य के ही पूर्ण हो जाने पर जिस विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है उसे पूर्ण विराम चिन्ह (Purn Viram Chinh) कहते हैं। पूर्ण विराम चिन्ह वाक्य की समाप्ति का बोध करवाता है। जैसे: मोहन पत्र लिखता है। गीता चाय बनाती है।
पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग कब किया जाता है? (Purn Viram Chinh Ka Prayog Kab Kiya Jata Hai)
पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है।
- पूर्ण विराम चिह्न (Purn Viram Chinh) का प्रयोग साधारण वाक्य, मिश्रित वाक्य या संयुक्त वाक्य की समाप्ति पर किया जाता है।
उदाहरण के लिए
- विकास खाना खाता है। (साधारण वाक्य)
- रवि पुस्तक पढ़ रहा है, विवेक चाय बना रहा है। (संयुक्त वाक्य)
- यदि तुम भी मेहनत करोगे तो निश्चित ही सफल हो जाओगे। (मिश्र वाक्य)
- पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्य और विस्मयादिबोधक वाक्य को छोड़कर हर तरह के वाक्य के अंत में किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए
- सीता सो रही है।
- कविता कपड़े धो रही है।
- रवि गाना गा रहा है।
- तुम कहाँ रहते हो?
- अरे! तुम कब आए?
उपरोक्त उदाहरणों में आप देख सकते हैं की प्रारम्भ के तीन उदाहरणों में पूर्ण विराम चिन्ह (Purn Viram Chinh) का प्रयोग हुआ है, जबकि अंतिम दो वाक्यों में पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग नहीं हुआ है, क्यूँकि अंतिम दोनों वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य और विस्मयादिबोधक वाक्य हैं।
- अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक वाक्य के अन्त में पूर्ण विराम चिन्ह का ही प्रयोग किया जाता है। जैसे: विजय ने बताया नहीं की वह कहाँ जा रहा है।
- काव्य या पद्य हिंदी में दोहा, सोरठ, चौपाई के चरणों के अन्त में भी पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:
- रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जाय पर वचन न जाई।।
- पूर्ण विराम का प्रयोग एक शब्द के अन्त में, वाक्यांश के अन्त में या क्रिया रहित वाक्य के अन्त में भी किया जाता है।
जैसे:
- ना।
- हाँ।
- गौरा रंग।
- खूबसूरत चेहरा।
- समुच्चय बोधक अव्यय शब्दों (परंतु, और, लेकिन, अथवा, इसलिए) के पहले आए वाक्य के अन्त में अर्थ की पूर्णता के लिए पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
पूर्ण विराम चिन्ह के उदाहरण (Purn Viram Chinh Ke Udaharan)
- आ।
- जा।
- खाइए।
- राधा खाना बना रही है।
- विक्रम एक अच्छा लड़का है।
- तिरछी नज़र।
- उदास आदमी।
- बुरी संगत।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में आप देख सकते हैं की एक बात या एक विचार खत्म होने पर पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया गया है।
पूर्ण विराम चिन्ह के वाक्य (Purn Viram Chinh Ke Vakya)
- घनश्याम अच्छा इंसान है।
- शंकर दूध बेचता है।
- राधा पढ़ाई में होशियार है।
- वीणा चाय अच्छी बनाती है।
- विक्रम साईकिल चलाता है।
Note: पूर्ण विराम चिह्न की सम्पूर्ण एवं विस्तृत जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें:- पूर्ण विराम चिन्ह किसे कहते हैं? – सम्पूर्ण जानकारी
02. अल्प विराम चिन्ह – Alp Viram Chinh (,)

अल्प विराम चिन्ह किसे कहते हैं (Alp Viram Chinh Kise Kahate Hain)
अल्प विराम का अर्थ थोड़ी देर के लिए रुकना होता है। भाषा के लिखित रूप में बात को कहने के लिए या बात को अच्छी तरह समझाने के लिए वाक्य में कई बार थोड़े-थोड़े समय के लिए रुकना पड़ता है। इसी थोड़े समय के ठहराव को संकेत चिन्ह के रूप में लिखने के लिए जिस विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है उसे अल्प विराम चिन्ह कहते हैं।
हिंदी भाषा में अल्प विराम चिह्न (Alp Viram Chinh) का प्रयोग बहुत अधिक होता है।
अल्पविराम का प्रयोग कहाँ किया जाता है? (Alp Viram Chinh Ka Prayog Kahan Kiya Jata Hai)
- जब किसी वाक्य में दो से अधिक सामान पदों, वाक्यांशों या जहाँ संयोजक अव्यय ‘और’ का प्रयोग हो सकता हो वहाँ पर अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:
- एक से अधिक पदों के बाद- चाय, बिस्किट, नमकीन और शक़्कर लेते आना।
- वाक्यांशों के बाद- विजय नहाता है, कपड़े पहनता है, बाल बनाता है और चला जाता है।
- अल्प विराम का प्रयोग उद्धरण चिन्ह से पहले किया जाता है।
जैसे:
- उसने कहा, “मैं तुमसे नफरत करता हूँ।”
- शंकर ने मुझसे कहा, “तुम अच्छा लिखते हो”
- माँ ने कहा, “मुझे तुम पर गर्व है”
- शब्दों एवं वाक्यांश की पुनरावृत्ति होने के साथ-साथ उन पर विशेष बल देने के लिए अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:
- वह मेरे पास, बहुत पास रहती है।
- उसके पास बहुत, बहुत ज़्यादा सामान है।
- तुम चालाक, बहुत चालाक इंसान हो
- वाक्य के बीच में किन्तु, परन्तु, पर, इसलिए, अतः, क्योंकि, ताकि, जिससे अव्यय पदों का प्रयोग होने पर इनके पहले अल्प विराम चिन्ह लगाया जाता है।
जैसे:
- मैं चाय पी लेता, किन्तु मन नहीं है।
- उसने कहा था, अतः उसकी गलती नहीं है।
- अध्यापक ने कहा था, इसलिए मैंने सभी महत्वपूर्ण सवाल हल कर लिए थे।
- वाक्य में यह, वह, तब, तो, या, अब इत्यादि के लुप्त होने पर, इनके स्थान पर अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:
- जब जाना ही है, (तो) जाओ।
- मैं जब तक पहुँचता, देर हो चुकी थी।
- समानाधिकरण शब्दों के बीच में भी अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: ईरान के बादशाह, नादिरशाह ने दिल्ली पर चढ़ाई की।
अल्पविराम चिन्ह के उदाहरण (Alp Viram Chinh Ke Udaharan)
- रमेश, महेश, सुरेश आदि घूमने जयपुर गए।
- भारत के प्रधानमंत्री, मोदी ने विदेश यात्रा की।
- यह टूटना ही था, टूट गया।
- मैं चला जाता, परन्तु मेरी तबियत ख़राब है।
- उसने कहा था, अतः उसकी गलती नहीं है।
- मैंने उससे कहा, “निकल जाओ।”
Note:- अल्प विराम चिन्ह के बारे में विस्तार पूर्वक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-
03. अर्द्ध विराम चिन्ह – Ardh Viram Chinh (;)

अल्प विराम से कुछ अधिक एवं पूर्ण विराम से कुछ कम ठहरने के लिए अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। किसी वाक्य में ऐसे उपवाक्यों को अलग करने के लिए अर्ध विराम का प्रयोग किया जाता है जिनमें अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग हुआ हो। जैसे: एक ओर रमेश, सुरेश, कमलेश आदि नाराज़ हैं; दूसरी ओर कमला, विमला, कान्ता आदि भी नाराज़ हैं।
अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग (Ardh Viram Chinh Ka Prayog)
अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है।
- एक प्रधान उपवाक्य पर अनेक आश्रित उपवाक्य होने पर अर्ध विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे:सूर्योदय हुआ, अन्धकार दूर हुआ; पक्षी चहचहाने लगे और मैं सुबह घूमने चला गया।
- मिश्र वाक्यों तथा संयुक्त वाक्यों में विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले वाक्यों के मध्य विराम के लिए अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे: जो पेड़ों को पत्थर मारते हैं; वे उन्हें फल देते हैं।
04. प्रश्नवाचक चिन्ह – Prashnavachak Chinh (?)
प्रश्नवाचक चिन्ह के प्रयोग (PrashanVachak Chinh Ke Prayog)
- जिस वाक्य में प्रश्न करने या प्रश्न पूछने का बोध होता हो वहाँ प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: वह कौन है? विक्रम के पिता का क्या नाम है?
- एक ही वाक्य में अनेक प्रश्नवाचक उपवाक्य हों और सभी एक प्रधान उपवाक्य पर आश्रित हों तो प्रत्येक प्रश्नवाचक उपवाक्यों के अन्त में अल्प विराम चिन्ह लगाकर, सबसे अन्त में प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: रवि क्या करता है, कहाँ रहता है, क्यों रहता है, यह तुम क्यों जानना चाहते हो?
- जिन वाक्यों में आज्ञा देने का भाव हो उनमें प्रश्नवाचक चिन्ह नहीं लगाया जाता। जैसे: राजस्थान की राजधानी बताओ।
प्रश्नवाचक चिन्ह के वाक्य (PrashanVachak Chinh Ke Vakya)
- तुम्हारा नाम क्या है?
- जयपुर किस राज्य की राजधानी है?
- महेश दिल्ली कब जाएगा?
- आज कक्षा में कौन-कौन नहीं आया?
- तुम क्या खाओगी?
05. विस्मयादिबोधक चिन्ह – Vismayadibodhak Chinh (!)
विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग विस्मय (आश्चर्य), ख़ुशी, दुःख, घृणा, करुणा, शोक, घृणा, भय, हर्ष इत्यादि भावों का बोध करवाने वाले शब्दों या वाक्यों के अन्त में विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: अरे! तुम कब आए।
विस्मयादिबोधक चिन्ह के उदाहरण (Vismayadibodhak Chinh Ke Udaharan)
- हाय! अब मैं क्या करूँ?
- वाह! तुम्हारी क्या बात है! (ख़ुशी)
- हे भगवान! तुम मेरी पार कब लगाओगे! (दुःख)
- ईश्वर करे, तुम पूरी तरह स्वस्थ हो जाओ! (सद्भावना)
- अरे! यह इतना ऊँचा कैसे चढ़ गया! (विस्मय)
06. उद्धरण चिन्ह – Udharan Chinh (‘ ‘) एवं (” “)
किसी महत्वपूर्ण कथन को ज्यों का त्यों लिखने के लिए उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। इस चिन्ह को अवतरण चिन्ह या उपरिविराम भी कहते हैं। उद्धरण चिन्ह दो प्रकार का होता है।
उद्धरण चिन्ह कितने प्रकार का होता है?
उद्धरण चिन्ह दो प्रकार का होता है:- इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘) और दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “)।
- इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘)
- दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “)
इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘) – (Ikahara Udharan Chinh)
इकहरा उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किसी कवि के उपनाम, पुस्तक के नाम, पत्र-पत्रिका के नाम, लेख या कविता के शीर्षक आदि का उल्लेख करने के लिए किया जाता है। जैसे: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ओज के कवि थे। ‘राम चरित मानस’ के रचियता तुलसीदास हैं।
दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “) – (Duhara Udharan Chinh)
किसी महत्वपूर्ण कथन या कहावत का उल्लेख करने के लिए दुहरे उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: महावीर ने कहा, “अहिंसा परमोधर्म:।”
Note:- उद्धरण चिन्ह या अवतरण चिन्ह के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-
07. योजक चिन्ह – Yojak Chinh (-)
योजक चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है।
- हिंदी में दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: माता-पिता, पाप-पुण्य, पढ़ना-लिखना, स्वर्ग-नरक, गिरना-गिराना इत्यादि।
- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण में योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: बहुत-सा-धन, कम-से-कम।
- पुनरुक्त शब्दों के बीच में भी योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। पात-पात, डाल-डाल, धीरे-धीरे।
Note:- योजक चिह्न के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-
08. विवरण चिन्ह – Vivran Chinh (:—)
विवरण चिन्ह का चिन्ह (:—) होता है। विवरण चिन्ह का प्रयोग किसी वाक्य के आगे कई बातें क्रम में लिखने के लिए किया जाता है। जब किसी के द्वारा कही हुई बात को स्पष्ट करना हो या फिर उसका विवरण प्रस्तुत करना हो तो वाक्य के अन्त में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
विवरण चिन्ह के उदहारण (Vivran Chinh Ke Udaharan)
- कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं:— सकर्मक क्रिया, अकर्मक क्रिया।
- निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए:— संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण।
- पुरूषार्थ चार हैं:— धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।
उपरोक्त उदाहरणों में वाक्य के अन्त में विवरण चिन्ह का प्रयोग किया गया है।
09. हंस पद – Hans Pad (^)
हंस पद का चिन्ह (^) होता है। इस चिन्ह को विस्मरण चिन्ह भी कहते हैं। दरअसल, कुछ लिखते समय अक्सर हमसे कोई न कोई शब्द या वाक्यांश छूट जाता है। हंस चिन्ह का प्रयोग करके हम इस छूटे हुए शब्द या वाक्यांश को उसकी सही जगह लिख सकते हैं।

10. लाघव चिन्ह – Laaghav Chinh (°)
लाघव चिन्ह का चिन्ह (°) होता है। किसी शब्द को संक्षेप रूप में लिखने के लिए लाघव चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। शब्द को संक्षेप में लिख देने के कारण इस चिन्ह को संक्षेपसूचक चिन्ह कहते हैं। जैसे:- पंडित का संक्षेप रूप पं. तथा प्रोफ़ेसर का संक्षेप रूप प्रो. होता है।
लाघव चिह्न का क्या अर्थ है?
11. तुल्यतासूचक चिन्ह – Tulytasuchak Suchak Chinh (=)
किन्हीं दो शब्दों या वाक्यांशों के मध्य समता या बराबरी दर्शाने के लिए तुल्यतासूचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: बद = बुरा, बल = शक्ति, बिना = रहित, फ़न = गुण।
12. लोप सूचक चिन्ह – Lop Suchak Chinh (…)
जब किसी कथन को अधूरा छोड़ दिया जाता है तो उस कथन के अंत में लोप सूचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
लोप सूचक चिन्ह के उदाहरण (Lop Suchak Chinh Ke Udaharan)
- मैं यह कह रहा था कि …
- मैं तो ठीक हूँ लेकिन …
- तुम अगर जाते-जाते …
- बारिश तो बहुत हुई …
विराम किसे कहते हैं?
हम बातचीत के दौरान अपनी बात कहने के लिए, समझाने के लिए, किसी बात पर विशेष बल देने के लिए या अपनी बात का सम्पूर्ण भाव स्पष्ट करने के लिए कहीं कम या अधिक समय के लिए रुकते हैं, जिसे विराम कहते हैं।
हिंदी में विराम चिन्ह कितने होते हैं?
हिंदी में मुख्य रूप से 12 विराम चिन्ह होते हैं:-
- पूर्ण विराम चिन्ह – Full Stop (।)
- अल्प विराम चिन्ह – Comma (,)
- अर्द्ध विराम चिन्ह – Semicolon (;)
- प्रश्नवाचक चिन्ह – Sign of Interrogation (?)
- विस्मयादिबोधक चिन्ह – Sign of Exclamation (!)
- उद्धरण चिन्ह – Inverted Comma (” “)
- योजक चिन्ह – Hyphen (-)
- विवरण चिन्ह – Sign of Vivran Chinh (:—)
- हंस पद – Sign of Hans Pad (^)
- लाघव चिन्ह – Sign of Laaghav Chinh (°)
- तुल्यतासूचक चिन्ह – Sign of Tulytasuchak Suchak Chinh (=)
- लोप सूचक चिन्ह – Sign of Loop Suchak Chinh (…)
संज्ञा की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- भाववाचक संज्ञा की परिभाषा और उदाहरण
- जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा और उदाहरण
- व्यक्तिवाचक संज्ञा की परिभाषा और उदाहरण
सर्वनाम की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- संबंधवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- निजवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- प्रश्नवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- निश्चयवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- पुरुषवाचक सर्वनाम की परिभाषा, भेद और उदाहरण
समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- अव्ययीभाव समास की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- द्विगु समास की परिभाषा और उदाहरण
- कर्मधारय समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- बहुव्रीहि समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- द्वन्द्व समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- तत्पुरुष समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
वाक्य की परिभाषा, भेद एवं उदहारण
- मिश्र वाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण
- संयुक्त वाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण
- साधारण वाक्य की परिभाषा एवं उदहारण
विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- परिमाणवाचक विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- संख्यावाचक विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- गुणवाचक विशेषण की परिभाषा और उदाहरण
- सार्वनामिक विशेषण की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- विशेष्य की परिभाषा एवं उदाहरण
- प्रविशेषण की परिभाषा एवं उदाहरण
क्रिया की परिभाषा, भेद और उदाहरण
सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण
- प्रत्यय
- उपसर्ग
- शब्द-विचार
- कारक
- विलोम शब्द
- पर्यायवाची शब्द
- तत्सम और तद्भव शब्द
- संधि और संधि-विच्छेद
- सम्बन्धबोधक अव्यय
- अयोगवाह
- हिंदी वर्णमाला
- वाक्यांश के लिए एक शब्द
- समुच्चयबोधक अव्यय
- विस्मयादिबोधक अव्यय
- हिंदी लोकोक्तियाँ
- हिंदी स्वर
- संज्ञा उपवाक्य
- भाव वाच्य
- कर्तृ वाच्य
- कर्म वाच्य
व्यंजन की परिभाषा, भेद और वर्गीकरण
- उत्क्षिप्त व्यंजन
- संघर्षहीन व्यंजन
- प्रकम्पित व्यंजन
- संघर्षी व्यंजन
- स्पर्श व्यंजन
- नासिक्य व्यंजन
- स्पर्श संघर्षी व्यंजन
- पार्श्विक व्यंजन